उत्तराखंड जिसे कभी देवताओं ने अपनी भूमि मानी और इसलिए हम इसे देवभूमि के नाम से जानते हैं। 9 नवंबर 2000 को भारत के उत्तर में बसे इस राज्य का जन्म हुआ। इससे पहले यह उत्तर प्रदेश का पर्वतीय हिस्सा हुआ करता था परन्तु अब यह एक स्वतंत्र राज्य है। क्या है इसका इतिहास? आखिर क्यों इतने धूम धाम से मनाया जाता है यहां राज्य स्थापना दिवस?
बात 1949 की है जब स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद टिहरी गढ़वाल की रियासत भारत में शामिल हुई। भारत का संविधान लागू होने से पहले आज के उत्तर प्रदेश का नाम संयुक्त प्रांत हुआ करता था जो 1950 में संविधान अपनाने के बाद उत्तर प्रदेश हो गया और यह भारत का एक प्रमुख राज्य बन गया। परन्तु आजादी मिलने के दशकों बाद भी उत्तर प्रदेश की सरकार हिमालयी क्षेत्र के लोगों की उम्मीदों को पूरा न कर सकी। तब अपने हक के लिए पहाड़ी लोगों ने एक अलग पहाड़ी राज्य की मांग की।
बता दें कि पहाड़ी राज्य की मांग के उद्देश्य से उत्तराखंड क्रांति दल का गठन हुआ जिसके अथक प्रयासों के बाद 90 के दशक में पूरे क्षेत्र में राज्य आंदोलन व्यापक रूप ले लिया। मुजफ्फरनगर में 2 अक्टूबर 1994 को हिंसक रूप ले लिया तब उत्तर प्रदेश पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई जिसमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई।
जहां एक तरफ इतना भीषण गोलीबारी होने से लोगों में भय का माहौल था वहीं दूसरी तरफ राज्य के कार्यकर्ताओं ने आंदोलन जारी रखा, जिसके परिणाम स्वरूप राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 उत्तर प्रदेश के पूर्ववर्ती राज्य को विभाजित करते हुए उत्तरांचल के रूप में किया गया। आपको बता दें उस समय केंद्र में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार थी। 1 जनवरी 2007 को उत्तरांचल का नाम बदल कर उत्तराखंड कर दिया गया।
यही कारण है कि प्रति वर्ष 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस उत्तराखंड इतने धूम धाम से मनाया जाता है। जिसमें यहां के कलाकारों के माध्यम से लोक गायन और लोक नृत्य तथा अन्य सभी प्रकार की प्रतिभा को दर्शाया जाता है।
यह भी बता दें कि इस वर्ष राज्य स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी उत्तराखंडवासियों को शुभकामनाएं दी है साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में यहां विकास कार्य तेजी से हो रहा है। जैसा कि पीएम ने कहा है कि यह दशक उत्तराखंड का होगा हम उस दिशा में जोर शोर से कार्य कर रहे हैं।