भारत के तमाम शिक्षण संस्थानों में शारीरिक विकास का कार्य करने वाले संस्था हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स एसोसिएशन आजकल फिर से सुर्खियों में है। संस्था के एक मुकदमे में दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोनो ही पक्षों को दोषी करार दिया है बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने मुकदमे को लेना ही गलत बता दिया।
आपको बता दें कि यह मामला भारत सरकार के खेल एवम् युवा मंत्रालय से मान्यता प्राप्त ऐतिहासिक संस्था हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स एसोसिएशन का है जिसे भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1928 में स्थापित किया था। स्वतंत्रता उपरांत इसका पंजीयन और सरकारी मान्यता 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के विशेष प्रयासों और खेल मंत्री उमा भारती के सहयोग से दिल्ली के मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के द्वारा हुआ।
यह भी बता दें कि संस्था में 4 साल पहले राष्ट्रीय सचिव विनोद विधूड़ी को वित्तीय अनियमितता, वरिष्ठ सदस्यों से बदतमीजी और कार्यालय में लगातार अनुपस्थिति के कारण संस्था अध्यक्ष द्वारा 14 फरवरी 2019 को निष्कासित कर दिया गया। इस फैसले पर 2 मार्च 2019 को कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से मोहर भी लगा दी। निकाले जाने के बाद विनोद विधूड़ी ने 6 मार्च 2019 को संस्था के पैनल अधिवक्ता दीपक त्यागी के साथ मिलकर खुद को राष्ट्रीय सचिव बताते हुए जिला अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। निचली अदालत ने मामले की सुनवाई में विनोद के निष्कासन को सही पाया। इसके पश्चात सत्र न्यायालय ने 22 मई 2022 को दिए फैसले में भी विनोद के निष्कासन को मान्य किया। साथ ही उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि विनोद विधूड़ी का खुद को राष्ट्रीय सचिव बताते हुए जो मुकदमा दायर हुआ तो वो मुकदमा सुनवाई के लिए लेना ही नहीं चाहिए था।
वहीं दूसरे पक्ष की दलीलों के अनुसार मामले के चलन के दौरान बिना कोई कैविएट डालें तथा सदस्यों की सूचना के 5 मई 2019 में ही अरोड़ा पति-पत्नी ने कार्यालय कर्मी राकेश मिश्रा को साथ लेकर चुनाव करावाना दिखाया। इस तरह दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद और तथ्यों को समक्ष देखते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि त्रैवार्षिक अवधि के समयकाल की कार्यपरिषद् का अवधि समाप्त हो गयी तब भी अरोड़ा दंपत्ति संस्था का अवैध प्रंबधन जारी रखे है।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय में दूसरे पक्ष के विरोधाभासी एफिडेविट पाए। साथ ही दोनो पक्षों की चुनाव कराने और उनके परिणाम के विरोधाभास को देखते हुए उच्च न्यायालय ने 5 मई 2019 के इस चुनाव को अवैध घोषित करार दिया।
साथ ही साथ के वर्तमान सचिव गिरीश जुयाल ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश के आदेश पालन में किसी तरह की त्रुटि नहीं होगी और वैसे भी संस्था के सभी वैध पदाधिकरी इसका पालन करते है। अब यह मंत्रालय के उपर है कि अदालत के आलोक में क्या कार्यवाही करते है और संस्था के संयुक्त सचिव डॉ. अतुल शर्मा ने उत्तराखंड में कार्यकारिणी विस्तार हेतु 3 दिवसीय दौरा किया इस दौरान उन्होंने संस्था के पुराने लोगो को जुटाने का कार्य किया।