तुम राम कहो या फिर घनश्याम कहो,
तुम सीता कहो या फिर राधा नाम कहो,
इन नाम में जो रस है उसका पान करो,
इन सांसों की माला से उनका ध्यान करो,
तुम राम कहो या फिर घनश्याम कहो।
तुम जा रहे हो जाओ राम काज करो,
तुम बिन रहूंगी कैसे, मुझको समझाओ,
मुझे आंसुओं के संग में जीना होगा,
विरह विष का घूंट घूंट कर पीना होगा,
वन जा रहे हैं लक्ष्मण, लगता है ऐसे,
दाऊ जा रहे हैं कृष्ण, के संग में जैसे,
तुम लक्ष्मण कहो या दाऊ बलराम कहो,
तुम राम कहो या फिर घनश्याम कहो।
हमने सुना है भगवन यहां आ रहे हैं,
हंसों के झुंड मन में फड़फड़ा रहे हैं,
एक आश मेरे मन में कैसे बतलाऊं,
चरणों की धूल लेकर सर पे सजाऊं,
पग पखारते रहे गुह लगता है ऐसे,
कृष्ण धूल रहे हैं पांव, सुदामा के जैसे,
तुम सुदामा कहो या फिर गुह निषाद कहो,
तुम राम कहो या फिर घनश्याम कहो।